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आए हैं पानी के चढ़ाव से,
उस पहाड़ी इलाके में ख़तरे।
बे वक़्त बादलों से गिर रहे लगातार,
शहर में पूरे ये पानी के क़तरे।
कहती हैं ख़बरें और तीन दिन चलेगी,
ये बेमौसम बरां।
बदला बदला मौसम-ए-सर्द का मिज़ाज,
कड़कते बर्क़ की आवाज़ नवम्बर के दौरान।
सुबह फ़िज़्ज़ा में मगन ठंड,
दोपहर कमबल सी धूप गर्मी।
सूस्त अब्र बारिश का इशारा,
पानी की फुहार गिराने रात में खूब सरगर्मी।