उसकी सुर्ख़ आंखें देख कर
लोग कहते है,
उसने नशा किया है
वो रोया नहीं है।
लोग कहते है,
उसने नशा किया है
वो रोया नहीं है।
वो क्या बताएं उनको
उसने अपना घर चलाने,
दिन रात एक किया है
कई रात वो सोया नहीं है।
पूछें अगर कोई उस से
सुर्ख़ क्यों है आज आंखें,
तो आंखें मल के कहता है वो
सो न सका वो रात में।
लाख चाहें मगर
वो कह न सकेगा कभी कि,
रात को रोने की ख्वाहिश थी
और वो रो न सका रात में।
होगी उसकी यही पहचान
शहर भर में,
सुर्ख़ आंखें, उदास चेहरा,
नवाब आदत ,बिखरी जुल्फें।
हो सकते हैं उसकी आंखें नम
हो सकते हैं उसके कोई पास ग़म,
नहीं जानते उसके दिल में बसे जज़्बात
उसके ग़म से न वाक़िफ़ जो हैं हम।
जो उनके आंखों से
बयां होते हैं,
वो लफ़्ज़ शायरी में
कहां होते हैं।
देख साक़ी ज़माने ने
कैसी तोहमत लगायी है उस पे
आंखें उसकी सुर्ख़ है
इसलिए शराबी कहते है उसे।