शहर में इक वबा चल रही है,
इस दुश्मन - ए - जान को मात कर लीजिए।
कोई दवा नहीं है यही रोना है,
सद एहतियात की फ़ैली हुई कोरोना है।
सांस लेने पर भी तेज़ सज़ा आयी है,
ए मौत तेरे टक्कर की बला आयी है।
बज़हारी पर्दा का ज़माना आया ,
बज़हारी हया जारी है।
चंद दिन पर्दे के आड़े रहे,
सुना है ये वबा हवा ला रही है।
क़यामत की समझो फ़िज़ा चल रही है,
आए दिन सामना होते रहेगा क़यामत से।
याद रखो तुमहें खुद को और अपने मकीनों को,
बचाना है इस फ़िज़ा से पूरी हिफ़ाज़त से।
ग़ज़ब है जो घर घर फ़हाशी फ़हाशी,
फ़हाशी की इनके घर सिनेमा लग रही है।
अपने घर के हसीन मकीनों को,
अपनी कल क़ायनात कर लीजिए।
रहम ख़ुद पर नहीं आता,
अपने बच्चों के साथ कर लीजिए।
आज मौक़ा है कमाएं माल दौलत,
अपनी राह नज़ात कर लीजिए ।
ग़रीबी भी अब सर उठा चल रही है,
अमीरों के मश्ग़लाओं को मक़बूलियत मिल रही है।
कोई ना! काम है वाहियात,
इस महामारी में फ़िक्र अपनी हर एक से पहले कीजिए।
यहा मौत के खौफ में कुछ यूं है सब ,
कि जीने के खातिर मारे जा रहे हैं सब।
मन-मर्ज़ी से या वबा से मरना है,
अब ये फ़ैसला आदमी को करना है।
आंसू तमाम शहरों के आंखों में है,
मगर हकीम बता रहे हैं सब ठीक-ठाक है।
शराफ़त का बिखरा हुआ दौर लाए,
दुनिया अपने मतलब की भूखी बनें जा रही है।
अब भी मौक़ा है जनाब,
सबसे अपना दिल साफ़ रख कर रह लीजिए।
हर इक जानिब दल-दल बची जा रही है,
क़दम ब क़दम इंतेहा बढ़ी जा रही है।
दिल मिला लीजिए इजाज़त है,
दूर लेकिन यह हाथ कर लीजिए।
सुना है इस वबा से लड़ने टिका आया है शहर में,
टिका लगवाके चंद दिन एहतियात कर लीजिए।